डेस्क मुनादी।। इस प्रदेश में स्वास्थ सुविधाओं का कितना बुरा हाल है इस बात से पता चलता है कि यहां जिला अस्पतालों में शव वाहन तक नहीं हैं। यहां के आदिवासी बाहुल्य जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली एक वीडियो सामने आई है। यहां शव घर तक ले जाने के लिए वाहन नहीं मिलने से जिला अस्पताल से एक पोते को अपने दादा के शव को बाइक में बिठाकर गांव तक ले जाना पड़ा। मामला मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का है।
परिजनों का कहना है कि उन्होंने जिला अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन की मांग की थी लेकिन रविवार के छुट्टी का बहाना बताकर उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। इस अमानवीय घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जो भी इस वीडियो को देख रहा है वह अपने अपने अनुसार रिएक्शन दे रहा है। कई तो सरकार को कोस रहे हैं तो के7छ व्यवस्था को।
घटना रविवार, 26 नवम्बर की सुबह का है। सोहागपुर जनपद के ग्राम धुरवार के 56 वर्षीय ललुईया बैगा की मौत शहडोल जिला अस्पताल में हो गई थी. परिजनों को शव ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिला, जिसकी वजह से पोते बाइक में ही दादा ललुइया बैगा का शव रखकर जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर अपने गांव रवाना हो गए। इसकी वीडियो बनाकर किसी ने अपने मोबाइल में कैद कर ली।
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि जिला अस्पताल परिसर में ही बुजुर्ग के शव को स्ट्रेचर से बाइक में रखा जा रहा है। जीवित आदमी के समान उसके पैर को फुटरेस्ट में जमाया गया। इसके बाद बाइक में एक-एक करके चालक और शव समेत 4 लोग सवार हो गए। इसके बाद वे अस्पताल परिसर से धुरवार गांव के लिए रवाना हो गए। दादा का शव बाइक में ले कर गए पोते रामकुमार ने बताया कि कोई हमारी नहीं सुन रहा था.इसलिए बाइक पर दादाजी का शव ले कर आ गए।
इस घटना के बाद जिला अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक फिर कटघरे में है। बाइक में जिस तरह वृद्ध के शव को रखा जा रहा है,उसे देख अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ जी एस परिहार ने अपनी सफाई में बताया कि परिजनों ने मुझे फोन नहीं किया, मै जब तक अस्पताल आया, तब तक वे जा चुके थे। गार्ड को जानकारी थी कि पीड़ित परिवार शव को बाइक पर ले जा रहे हैं,उन्हें तत्काल हटाने के लिए कार्यवाही की जा रही है। शव को ले जाने की व्यवस्था नगर पालिका एवं स्वयंसेवी संस्था करती है।