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December 07, 2024



जाशपुर में आया "रेप"का अजब गजब मामला , धारा "376" बना पुलिस के जी का जंजाल , पुलिस ने कहा - बेमतलब का बवाल , पढिये पूरी स्टोरी

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जशपुर मुनादी ।।  जिले में  रेप की रेपोर्ट लिखने के एवज में पहाड़ी कोरवा पीड़ित पक्ष से मुर्गा और नगदी 5000 रुपये मांगने का मामला सामने आया है । खाश बात यह है कि इस मामले को कांग्रेस पार्टी अब तूल देने में लग गयी है । पीड़ित पहाड़ी कोरवा द्वारा पुलिस अधीक्षक जशपुर को की गई शिकायत की कॉपी और पीड़ित के बयान को पूर्व सीएम भुपेश बघेल ने सोशल मीडिया के "x"पर पोस्ट करते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल उठाया है । 

      

इस मामले को सामने आने के बाद जशपुर  एमपी शशिमोहन सिंह ने भी पुलिस की ओर से पूरी बात रखते हुए पीड़ित के सारे आरोप को बेबुनियाद बताया है । 

       

उन्होंने इस मामले में मीडिया से बात की ओर बताया कि 2 दिसम्बर की रात को आरोपी ईश्वर उर्फ पंडित घासी के द्वारा पीड़िता के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया । 3 दिसम्बर की सुबह घटना की सूचना के बाद पुलिस ने आरोपी ईश्वर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किया और अगले दिन उसे जेल भेज दिया गया । 

    

पुलिस अधीक्षक ने आगे बताया कि किसी ने पीड़िता के पति को यह बता दिया कि पुलिस ने आरोपी को बचाने के उद्देश्य से आरोपी के विरुद्ध आपीसी की धारा 376 दर्ज करने के बजाय धारा 64 बी.एन.एस.  लगा दिया है। इस वजह से पीड़िता का पति अज्ञानता वश धारा 376 लगाने ली जिद्द कर रहा था । इस पर पुलिस द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि धराये और नियम में बदलाव हुए हैं और बदळाव के बाद धारा 376 के जगह  धारा 64  लगाया जाना है लेकिन पीड़िता का पति इस बात को मानने को तैयार नहीं था और वह चौकी में इसी बात को लेकर विवाद करने लगा तथा बड़े अधिकारियों से शिकायत करने की बात कहकर वहाँ से चला गया ।


      

पुलिस अधीक्षक ने आगे बताया कि इस मामले में पूरी कार्रवाई त्वरित तौर पर की गई है इसलिए वित्तीय लेन देन का मामला स्वस्फूर्त खारिज हो जाता है । वित्तीय अनियमितता का कोई उद्देश्य होता तो पुलिस त्वरित कार्रवाई क्यों करती? आवेदक द्वारा जो शिकायत दिया गया है उस दिनांक को FIR करने के लिये पैसा की मांग किया गया है, जो प्रथम दृष्टया सही प्रतीत नहीं होता है। चौकी प्रभारी द्वारा दिनांक 03.12.2024 को ही थाना प्रभारी बगीचा के सामंजस्य से FIR दर्ज कर, पीड़िता का मेडिकल उपरांत विवेचना में लिया गया है। अगर FIR और गिरफ्तारी में विलंब होती तो आवेदक के आरोप की सत्यता प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता। 


पीड़िता के पति ने यह भी आरोप लगाया है कि मुर्गा और नगदी 5000 रूपये की मांग के अलावे पीड़िता को अपने वाहन खर्चे पर बयान के लिए जशपुर भेजा गया ।इस मामले में सफाई देते हुए एसपी ने कहा कि सूचना दिनांक को ही चौकी पण्डरापाठ द्वारा ब्लैकमेल के एक आरोपी को चंडीगढ़ (पंजाब) से लाया गया था, उक्त आरोपी को शासकीय वाहन से न्यायालय पेश करने हेतु ले जाया गया। चौकी प्रभारी द्वारा प्रार्थिया एवं परिजनों को बस से आने-जाने हेतु व्यवस्था कर दिया गया था, पर वे चौकी प्रभारी की बात न मानकर स्वयं वाहन की व्यवस्था कर जशपुर गये। फिर भी न्याय के सिद्धांत के तहत् आवेदक की शिकायत को सूक्ष्मता से जाॅंच करने हेतु एसडीओपी बगीचा को जाॅंच हेतु सौंपा गया है। 

                 

पुलिस अधीक्षक जशपुर श्शशि मोहन सिंह द्वारा कहा गया है कि:- आवेदक की शिकायत मेरे समक्ष में प्राप्त हुई है। घटना दिनांक से ही उक्त संवेदनशील प्रकरण मेरे संज्ञान में थी। मेरे निर्देश पर ही चौकी प्रभारी पण्डरापाठ एवं थाना प्रभारी बगीचा द्वारा तत्काल अपराध दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। प्रथम दृष्टया आरोप बेबुनियाद पाया गया है। न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुये आवेदक द्वारा प्रस्तुत शिकायत की जाॅंच एसडीओपी बगीचा से कराई जा रही है, अनियमितता पाई जाने पर सख्त कार्यवाही की जायेगी। 

               

आवेदक द्वारा किसी के बहकावे में आकर उक्त शिकायत वरिष्ठ कार्यालय में प्रस्तुत किया गया है। महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध घटित अपराधों पर जशपुर पुलिस सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर अत्यंत संवदेनशीलता के साथ कार्य कर रही है।



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