जशपुर मुनादी ।।मंगलवार को सारहूल पूजा के दौरान मुख्यमन्त्री के आगमन से पहले मधुमक्खियों के हमले से घायल मरीजों की तबियत में ज्यों ज्यों सुधार आ रहा है त्यों त्यों यह मामला और तूल पकड़ता जा रहा है ।
घटना के अगले दिन से ही लोग इस घटना को लेकर अधिकारियों के विरुद्ध सोशल मीडिया में खुलकर भड़ास निकालने लगे हैं। कांग्रेस समर्थित सोशल मीडिया एक्टिविस्ट इस मामले को कुछ ज्यादा ही हवा देने में लगे हैं। इनका कहना है कि मधुमक्खियों का हमला कोई साधारण घटना नहीं बल्कि मुख्यमन्त्री की सुरक्षा में बड़ी चूक है । हांलाकि इनके द्वारा इस घटना का जिम्मेदार वन विभाग को बताया जा रहा है ।कहा जा रहा है कि वन विभाग की लापरवाही के चलते ऐसी घटना घटी ।
आपको बता दें कि मंगलवार को हिन्दू नववर्ष के मौके पर जशपुर के दीपू बगीचा में सरहुल पूजा का भव्य आयोजन होना था। मुख्यमन्त्री विष्णुदेव साय की मौजूदगी में सरहुल के भव्य आयोजन का कार्यक्रम तैयार किया गया था लेकिन मुख्यमन्त्री के यहां आने के ठीक 1 घण्टा पहले जब पूजा पाठ शुरू हुआ तो धुएं के चलते मधुमक्खी छत्ते से बाहर आकर लोगों पर हमला करना शुरू कर दिए ।
इनका हमला इतना जबरदस्त था कि कई पुकिसकर्मी,बैगा, पूर्व विधायक जगेश्वर राम भगत ,जशपुर विधायक रायमुनि भगत सहित दर्जनों भर से ज्यादा लोग मधुमक्खियों के डंक से बुरी तरह घायल हो गए । आनन फानन में दीपू बगीचा में होने वाले सरहुल पूजा का स्थान बदलकर कल्याण आश्रम ले जाया गया । मुख्यमन्त्री दीपू बगीचा न आकर कल्याण आश्रम आये और यही पर सरहुल का आयोजन हुआ ।
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आयोजन के बाद मुख्यमन्त्री घायलों से मिलने जिला अस्पताल भी पहुँचे ।बताया जा रहा है कि धीरे धीरे सभी स्वस्थ हो रहे है लेकिन अब इस मामले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है।सोशल मीडिया में इस घटना को लेकर लोग अपने अपने हिसाब से रिएक्शन दे रहे हैं ।कोई इसे प्राकृतिक आपदा बता रहा है तो कोई इस घटना को cm की सुरक्षा से भी जोड़कर देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि cm प्रोग्राम को गम्भीरता से नहीं लिए जाने के कारण ऐसी घटना घटी ।गनीमत है कि घटना cm के आने से पहले घटी cm की मौजुदगी में ऐसा होता तो cm स्वयं इस घटना के शिकार हो सकते थे ।
सोशल मीडिया पर इस घटना घटना का जिम्मेदार वन विभाग को बताया जा रहा है । जैसा कि एसपी शशिमोहन सिंह का कहना है कि मधुमक्खियों के छत्तों को हटाने उनके द्वारा वन विभाग को पहले ही पत्र लिखा गया था उस बयान को आधार बनाकर लोग जिले के dfo को डायरेक्टली इस घटना का जिम्मेदार बता रहे हैं । लेकिन जानकारों का कहना है कि मधुक्खियों को महज एक या 2 दिनों में हटाना सम्भव नहीं होता ।उन्हें हटाने में न्यून्तम 3 दिनों का वक़्त लगता है और चुकी यहाँ मधुमक्खियों के और भी छत्ते हैं इसलिए 3 दिनों से भी ज्यादा वक्त लग सकता है । यही वजह है कि वक़्त पर छत्तों को नहीं हटाया जा सका ।
बहरहाल मधुमक्खी तो डंक मारकर निकल गए लेकिन सोशल मीडिया में जिस तरह से यह मामला तूल पकड़ रहा है उससे कहीं न कहीं इस मामले में किसी बड़ी कार्रवाई का अंदेशा लगाया जा रहा है ।