जशपुर मुनादी।। निकाय चुनाव के हॉट सीट के बाद पंचायत चुनाव में जिले का दुलदुला डीडीसी क्षेत्र इन दिनों हॉट सीट बना हुआ है। जशपुर रियासत के लिटिल जूदेव शौर्य प्रताप सिंह जूदेव को हराने यहाँ 6 महारथी चुनाव मैदान में उतरे हैं। छोटे कद के युवा शौर्य को घेरने विपक्ष के लोग व्यूह रचना के काम मे जुट गए हैं ।ऐसा लग रहा है जैसे यहाँ चुनाव नहीं महाभारत का दृश्य चल रहा है और शौर्य प्रताप महाभारत के अभिमन्यु की भूमिका में हैं ।
दरअसल इस बार स्व दिलीप सिंह जूदेव के पोते और भाजयुमो के जिलाध्यक्ष शौर्य प्रताप सिंह जूदेव को चुनाव मैदान में उतारा गया है । डीडीसी पद के लिए भाजपा ने शौर्य को अपना उम्मीदवार बनाया है लेकिन इनके विरुद्ध 6 लोगों की उम्मीदवारी के चलते यह सीट हॉट सीट में तब्दील हो गया है । पूरे जिले की नजर इस सीट पर आकर टिक गई है । यहाँ से हांलाकि विपक्षी पार्टी काँग्रेस की ओर से नरसिंह सागर यादव चुनाव मैदान में हैं बाकी उम्मीदवारों को किसी दल का समर्थन प्राप्त नहीं है । कायदे से यहाँ भाजपा और काँग्रेस ही आमने सामने है लेकिन जीत और हार के खेल में काँग्रेस के उम्मीदवार के साथ साथ अन्य उम्मीदवारो के सामने आ जाने से यहाँ का चुनाव काफी रोचक हो गया है ।
वैसे कहा जाता है कि इस क्षेत्र में अबतक भाजपा और जूदेव राजपरिवार का ही दबदबा रहा है। यहाँ से अबतक किसी कांग्रेसी या अन्य को कभी जीत हासिल नहीं हुई इसलिए यह सीट अबतक भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट माना जाता रहा है । 2020 के पंचायत चुनाव में जब प्रदेश में काँग्रेस की सरकार थी और जिले के तीनों सीट पर काँग्रेस के विधायक थे तब भी भाजपा के समर्थन से चुनाव लड़ रही भाजपा के महिला मोर्चा अध्यक्ष ममता कश्यप 5000 वोटो से चुनाव जीत गयी थी । 2020 के पंचायत चुनाव में भी नरसिंह सागर यादव की पत्नि चुनाव मैदान में थी लेकिन तब उन्हें काँग्रेस ने समर्थन नहीं दिया था फिर भी उन्हें यहाँ से तकरीबन 8000 वोट मिले थे लेकिन ममता कश्यप भारी मतों से चुनाव जीत गयी थी । इससे पहले 2015 में भाजपा के प्रदेश मंत्री और स्व दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप ने इसी दुलदुला डीडीसी क्षेत्र से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुवात की थी । प्रबल प्रताप यहाँ से पहली बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतकर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष बने । इसी तरह जशपुर रियासत के बाहुबली युवा नेता युद्धवीर सिंह जूदेव ने भी इसी दुलदुला क्षेत्र से पहला चुनाव जीता था और वो भी जिला पंचायत के उपाध्यक्ष बने थे ।
इसी इतिहास को दोहराते हुए इस बार भाजयुमो के जिलाध्यक्ष शौर्य भी चुनावी कैरियर की शुरुवात करने जा रहे है लेकिन इस बार शौर्य के सामने कई चुनौतियां भी हैं ।हांलाकि स्थानीय लोगो से बात चीत करने पर बताया गया कि यह सीट भाजपा की सुरक्षित सीट है फिर भी यहाँ हर बार ऐसी ही चुनौतियां रही हैं । विपक्ष ने हमेशा इस सीट को घेरने में कोई कमी नहीं की है बावजूद इसके यहाँ से कभी भाजपा का सूर्यास्त नहीं हुआ ।
भाजपा के सीनियर नेता जगदीश गुप्ता ने बताया कि 2018 के विधानसभा चुनाव जैसी विषम परिस्थितियों में भी भाजपा को इस क्षेत्र से बढ़त मिली थी और 2020 में भी जब काँग्रेस पूरे जिले में मजबूत थी तब भी काँग्रेस या किसी विपक्षी का यहाँ सूर्योदय नहीं हुआ ।
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार क्या होता है ? राजनीति के अभिमन्यु को घेरने विपक्षियों के द्वारा की गई व्यूह रचना में विपक्षी फंसते हैं या शौर्य ?