सुलगते कुनकुरी की मुनादी ।। मुख्यमंत्री बिष्णुदेव साय के विधानसभा मुख्यालय कुनकुरी में इन दिनों धर्मांतरण को लेकर बवाल मचा हुआ है । जिले के सारे हिंदूवादी संगठन इस बार मिशनरीज संस्थाओं के विरुद्ध एक साथ खड़े होकर धर्मांतरण पर पूर्ण विराम लगाने के अलावे धर्मांतरण के आरोपियों को जेल भेजने पर आमादा है । हिंदूवादी संगठनों के आक्रोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि hollycross की संस्था नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद भी ये संतुष्ट नहीं है और नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल को जेल दाखिल कराने के लिए आक्रोश रैली निकाल रहे हैं । गुरुवार को कुनकुरी हिन्दू संगठनो ने हजारों की संख्या में आक्रोश रैली निकाली । रैली में आये हजारों लोग hollycross के गेट के सामने खड़े होकर नारेबाजी करते रहे इसके बाद पूरी भीड़ कुनकुरी थाने के बाहर जमा हो गयी और वहाँ भी खूब नारे लगे । बजरंग दल के युवा नेता विजय आदित्य सिंह जूदेव और आचार्य राकेश इस रैली की अगुवाई कर रहे थे । इनका कहना है कि मिशनरीज धड़ल्ले से धर्मांतरण कर रहे हैं ।
इस बजह से हुआ हंगामा
बीते सप्ताह कुनकुरी के मिशनरीज संस्थान में पढ़ाई कर रही नर्सिंग कॉलेज की छात्रा ने संस्थान के प्रिंसिपल सिंस्टर विंसिया पर धर्मांतरण करने का दबाव बनाने की कलेक्टर से शिकायत थी । छात्रा का आरोप है कि सिस्टर उसे बार बार नन बनने के लिए बोलती थी ।बात नहीं मानने पर उसके शैक्षणिक भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है । इस शिकायत के बाद कुनकुरी पुलिस एक्शन में आई और नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज हो गयी। हांलाकि धर्मांतरण के लिए कथित तौर पर दबाव बना रही प्रिंसिपल ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। प्रेस कांफ्रेसन्स में प्रिंसिपल ने पत्रकारों को बताया कि आरोप लगाने वाली छात्रा का न तो ठीक ठाक अटेंडेंस है न ही वो प्रैक्टिकल कर पाई है इस वजह से उसके फाईल को आगे नहीं बढ़ाया जा सका । सिस्टर ने पत्रकारों को बताया कि उनके नर्सिंग कॉलेज में और भी कई हिन्दू छात्राएं पढ़ती हैं लेकिन आज तक उनके उपर किसी छात्रा ने ऐसे आरोप नहीं लगाए थे ।
संतोषजनक नहीं है कार्रवाई
हिन्दूवादी संगठन पुलिस की इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। इनका कहना है कि एफआईआर के बाद प्रिंसिपल को तत्काल अरेस्ट कर जेल भेजा जाए ताकि धर्मांतरण जैसी घटनाओं पर विराम लग सके ।
आखिरी सवाल ! धर्मांतरण रुकेगा या नहीं ?
इन सबके बीच एक सवाल यह भी है कि क्या धर्मांतरण पर पूर्णविराम लग पाएगा ? क्या कथित तौर पर धर्मांतरण करा रही तमाम मिशनरीज संस्थाओं को सरकार बन्द कर पाएगी ? शायद इन दोनों सवालों का परफेक्ट जवाब किसी के पास नहीं है लेकिन सवाल यह भी है कि अगर संघ और संघ के सारे आनुषांगिक संगठन धर्मांतरण के खिलाफ एकजुट हैं तो धर्मांतरण पर पूर्ण विराम लगाने में दिक्कत किस बात की ? दिक्कत इसलिए नहीं क्योंकि प्रदेश और केंद्र दोनो जगह भाजपा की सरकार है और सबसे खाष बात यह कि भाजपा भी धर्मांतरण के विरुद्ध खड़ी है । सरकार चाहे तो इस मामले में अंतिम निर्णय लेकर कुछ बड़ा नजीर पेश कर सकती है।