जशपुर मुनादी।। आज जिले में जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा संपंन्न हो रही है, और बच्चे अपने ब्लॉक मुख्यालयों में उक्त परीक्षा दे रहे हैं। मगर बग़ीचा ब्लॉक में आयोजित इस परीक्षा में सूत्र बता रहे हैं कि छात्रों की अनुपस्थिति ऐसी है, की बमुश्किल उपस्थिति 50 प्रतिशत ही छात्र परीक्षा दे पा रहे है।
लापरवाहियों का आलम ऐसा है कि बहुत से छात्र परीक्षा देने से ही वंचित हो गया। जब हमे भी जानकारी मिली तो हम भी पड़ताल करने पहुंचे।
तो पता लगा कि लापरवाहियों का ये आलम है कि छात्रों के पास न प्रवेश पत्र है, न जिस स्कूली संस्था ने इन्हें बड़े जोर शोर से फार्म भरवाया, वो शिक्षक ही नदारद रहे, जिनकी जिम्मेदारी थी की अपने संस्थान के बच्चों के साथ उपस्थित होकर उन्हें परीक्षा केंद्रों में शामिल करवाते।
दरअसल ये अनुपस्थिति दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्र के आदिवासी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों और आश्रम छात्रावास के छात्रों के हैं, जिनमे पहाड़ी कोरवा बच्चे भी हैं।
शिक्षकों और आश्रम अधीक्षकों ने बच्चों को बता दिया कि 30 तारीख को परीक्षा है, पालकों के साथ बच्चे मुख्यालय भी पहुंचे, पर जिम्मेदार अनुपस्थित, न सेंटर का पता, न बच्चों के पास एडमिट कार्ड! लिहाजा बच्चो को वापस लौटाया जा रहा था।
ऐसे ही कुछ बच्चों से हमारी मुलाकात हुई, कुछ आंसू बहा रहे थे, कुछ अपने पालकों के साथ परेशान रुआंसे से, तैयारिया है, पर परीक्षा से वंचित, क्योंकि मार्गदर्शन करने वाले उनके शिक्षक, और अधीक्षक अनुपस्थित है, अनुपस्थित तो अनुपस्थित फ़ोन तक रिसीव भी नही कर रहे, तो कुछ ने फ़ोन बन्द कर रखा था। ऐसे ही कुछ मासूम बच्चों से हम मिले, जो बड़े सपने संजोए आये थे, पर अवस्थाओ की ऐसी दुरावस्था,की वहीं ढाक के तीन पात।
जिन बच्चों से हमारा मिलना हुआ मधुपुर पहाड़ी कोरवा आश्रम के बच्चे थे, तो प्राथमिक शाला छिछली र के बच्चे, जिनके शिक्षक न तो फोन उठा रहे, ज्यादा कॉल करने पर फ़ोन बन्द कर दिए, जिन लोग ये कर्म किये उन्हें सजा मीले या न मिले, अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लें, पर ये तो साफ था पहाड़ी कोरवा और आदिवासी बच्चे जिन्होंने सपना देखा कुछ बड़ा करने का, उनके तो सपने ध्वस्त हुए ही।
हालांकि जब हमने पहल की और बीईओ से बात की तो तीन पहाड़ी कोरवा बच्चों को लेट ही सही पर बीईओ के सहयोग से परीक्षा में प्रवेश दे दी गया, पर उनका क्या जो सरकारी लापरवाहियों का खामियाजा बच्चे भुगतते नजर आए, जो उपस्थिति संख्या से साफ नजर आया। और बच्चे परीक्षा से वंचित हो गए, और कुठाराघात हुआ उनके सपनों पर।
हालांकि जवाब इसका किसी के पास नही, पर जब परीक्षा करवाई जा रही थी तो व्यवस्थाओं को दुरूस्त क्यों नही किया गया, सरकारी शिक्षण सांस्थानो का बीईओ कार्यालय से ऐसा कवार्डीनेशन था तो सजा किसको मिलेगी। लाजिमी है जवाब किसी के पास नही, पर सवाल तो है, और ये सवाल शायद प्रशासन को चुभे भी !