जशपुर मुनादी।। सरकारें अपने तबादलों के फैसले से मौजूदा व्यवस्था को चाक चौबंद करने की कोशिश लगातार करती रहती है, मगर कभी -कभी इस चाक चौबन्दी में कोई ऐसी चूक हो जाती है, कि व्यवस्था करते करते ही अवस्वस्था फैल जाती है।
ऐसा ही कुछ हुआ है, बगीचा नगर पंचायत को लेकर, जहां पिछले दिनों नगरीय प्रशासन में खूब ट्रांसफर हुआ, पर जब ट्रांसफर की लिस्ट जारी हुई तो बगीचा नगर पंचायत ही सब इंजीनियर विहीन हो गया।
मतलब कि यहां पदस्थ इंजीनियर को कुसमी ट्रांसफर किया गया, पर यहां किसी को पदस्थापित ही नही किया गया, और सबसे बड़ा कमाल तो तब हो गया जब आदेश के साथ इंजिनियर को रिलीफ भी कर दिया गया। तब से पूरे डेढ़ महीने हो गए और यहां कोई इंजीनियर नही है। जाहिर है विकास के दावों के बीच धरातल पर उतारने वाला सिस्टम ही यहां मौजूद नही, तो विकास की बात तो बेमानी होगी ही।
और सबसे कमाल यह भी कि स्थानीय प्रशासन ने भी अब तक कोई ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था नही की है, कि यहां कमोबेश कुछ तो सिस्टम धरातल में उतरे, पर अब तक आसपास के किसी निकाय इंजीनियर को भी प्रभार नही दिया गया। अतः डेढ़ महीने से न कोई निर्माण अधोसरंचना और न ही कुछ ही हो पा रहा है।
कई सारे निर्माण जो विकास में दीपक की तरह जगमगाने की बाट जोह रहे हैं, पर न टेंडर लग पा रहे, और न ही निर्माण, जो चल रहे वो भी बंद पड़े हुए हैं, यहां तक कि पार्षदों की निधि तक, वहीं सरकारों के निर्माण कार्य के लिए आये पैसे यूं ही अपने उपयोग की बाट जोह रहे निकाय में पड़े हुए हैं, कि कब इन पैसों का उपयोग होगा। मतलब इंजिनीयर नही तो कुछ नहीं, भले सरकारें पैसे दें, पर जमीन का सिस्टम ही नही, तो उन पैसों का क्या ?
इस हाल में जिले का यह नगर पंचायत है तो सरकार की महात्त्वाकांक्षि योजना प्रधानमंत्री आवास भी इंजीनियर विहीन अघोषित बन्दी में लोगों के लटक गये।
अब देखना है कि ये अघोषित बन्दी कब खत्म होती है, कब इस नगर पंचायत के भाग्य खुलेंगे, कि यहां इंजीनियर की पदस्थापना होगी, और सरकार और सरकार की सरकारी सिस्टम धरातल पर लौटेगा।