नई दिल्ली। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने प्राकृतिक खेती को समय की जरूरत बताते हुए सोमवार 25 अप्रैल 2022 को कहा कि इस समय रसायनों और उर्वरकों के उपयोग के कारण खाद्यान्न उत्पादन की लागत बढ़ गई है।
उन्होंने नीति आयोग की तरफ से नवाचार कृषि पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब गेहूं और चावल का निर्यातक बन चुका है। हालांकि, अकुशल आपूर्ति शृंखला और अधूरे बाजार संपर्कों के कारण भारत की कृषि क्षेत्र की उत्पादकता कम है।
अमिताभा कांत ने कहा, प्राकृतिक खेती समय की जरूरत है और यह महत्वपूर्ण है कि हम वैज्ञानिक तरीकों की पहचान करें ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि किसान इससे सीधे लाभान्वित हों और उनकी आमदनी बढ़े।
कांत ने कहा, प्राकृतिक खेती में रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और इसे कृषि-पारिस्थितिकी पर आधारित खेती की विविध प्रणाली के रूप में देखा जाता है। यह जैव विविधता के साथ फसलों, पेड़ों और मवेशियों को भी समाहित करते हुए चलती है।
कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने कहा कि प्राकृतिक खेती के जैविक खेती, विविधीकरण और सतत खेती जैसे कई तरीके हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, हमारे साझा अनुभवों के माध्यम से, प्रत्येक तरीके के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है।