जशपुर मुनादी ।। मंगलवार को नगरपालिका जशपुर ने फिर से वर्षों पहले का इतिहास दोहराया है । जशपुर नगरपालिका से जशपुर रियासत के राजकुमार स्व दिलीप सिंह जूदेव ने अपने राजनैतिक कैरियर की शानदार शुरुवात की थी। उस नगरपालिका ने आज फिर इतिहास को दोहरा दिया है। रियासत के राजा रणविजय सिंह जूदेव के बेटे यश प्रताप इसी नगरपालिका से निर्विरोध निर्वाचित हुए ।यश प्रताप पूरे प्रदेश में सबसे कम उम्र के इकलौते नगरपालिका उपाध्यक्ष हैं इसके अलावे अपने निकटतम प्रतिद्वंदी (काँग्रेस प्रत्ययाशी)का जमानत जप्त कराने वाले भी प्रदेश के इकलौते भाजपा प्रत्याशी भी साबित हुए हैं। पार्षद का चुनाव जीतने के बाद इन्हें मंगलवार को सर्वसम्मति से निर्विरोध उपाध्यक्ष निर्वाचित कर दिया गया ।
यश प्रताप ने बताया कि यह उनका पहला चुनाव था जिसमे उन्होंने बड़ी जीत हासिल की है। और उससे भी बड़ी जीत यह कि सभी पार्षदों ने उनपर भरोसा किया और समर्थन देकर नगरपालिका का उपाध्यक्ष बनाया ।
उन्होंने और क्या क्या बताया उसे बताने से पहले आपको बता दें कि अविभाजित मध्यप्रदेश के तात्कालीन मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह को चैलेंज करने के बाद स्व दिलीप सिंह जूदेव यहाँ से पहली दफा नगरपालिका का चुनाव जीतकर न केवल नगरपालिका अध्यक्ष बने थे बल्कि अपने साथ साथ 11 पार्षदों को भी चुनाव जिताया था ।स्व जूदेव की यह पहली राजनैतिक शुरुवात थी । इसके बाद इसी नगरपालिका से यश प्रताप के पिता पूर्व सांसद रणविजय सिंह जूदेव उपाध्यक्ष बने और फिर स्व दिलीप सिंह जूदेव के राजनीति उत्तराधिकारी रहे स्व शत्रुंजय प्रताप जूदेव को भी इस नगरपालिका का उपाध्यक्ष बनने का अवसर मिला ।
2012 में स्व शत्रुंजय प्रताप जूदेव के देहांत के बाद 13 साल बाद फिर से जूदेव परिवार की नगरपालिका में रॉयल एंट्री हुई है । उपाध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद "मुनादी चौपाल" से उन्होंने बात की । बात चीत के दौरान उन्होंने कहा कि जीत का असली मजा लड़ाई के बाद ही आता है । लड़ाई के बिना जीत का मजा अधूरा होता है । उन्होंने स्व दिलीप सिंह जूदेव के द्वारा बोले गए मशहूर शायरी को दोहराते हुए कहा -राजी हैं हम उसी में जिसमे तेरी रजा है, इसमें भी वाह वाह है उसमें भी वाह है । मुसीबतों में रहने वालों को किस बात की परवाह है .. इसमें भी वाह वाह....." जनता ने जिम्मव्दारी सौंपी है तो उनके उम्मीदों पर खरा उतरना हमारी पहली प्राथमिकता है "
आपको बता दें कि यश प्रताप भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य होने के नाते कई वर्षों से राजनीति में सक्रिय रहे हैं । अपने पिता राजा रणविजय सिंह की राजनीतिक उंगली पकड़कर राजनीति के पायदान पर कदम रखा और पिता के साथ चलकर देश के कई दिग्गज नेताओं से अक्सर मिलते जुलते भी रहे इस लिहाज से सियासत की शिक्षा इनके खून में है लेकिन फिर भी चुनाव लड़ना और प्रतिद्वंदी को हरा देना अपने आप मे एक बड़ा चैलेंज होता है और इस चैलेंज को पार कर के यश कहीं न कहीं खुद को साबित करने में कामयाब हो गए ।