रायपुर मुनादी।। झीरम घाटी जांच के लिए बनाई गई कमेटी के कामकाज पर फिलहाल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। नई जांच कमेटी के गठन के बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हाई कोर्ट में आपत्ति की थी । उनका कहना था कि पूर्व के रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रख जाना चाहिए इसके बाद इसपर जांच आगे बढ़ाना चाहिए। धरमलाल कौशिक के आपत्ति पर ही कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने झीरम घाटी हत्याकांड की जांच को लेकर शुरू से ही आक्रामक रही है। पहले SIT का गठन किया जिसके विरुद्ध NIA ने आपत्ति लगाई, बाद में NIA की आपत्ति खारिज हो गयी। इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने न्यायमूर्ति सतीश के अग्निहोत्री की अध्यक्षता में 11 नवंबर 2021 दो सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था। जांच कमेटी द्वारा पूर्व के जांच बिन्दुओ के अतिरिक्त तीन नए बिन्दुओ को शामिल किया गया था।
लेकिन जैसे ही सरकार ने नए जांच आयोग की घोषणा की नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाई कोर्ट में अपने वकील विवेक शर्मा के जरिये याचिका लगा दी। इस याचिका में कहा गया है कि झीरम घाटी कांड की जांच के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित की थी। आयोग ने 8 साल तक सुनवाई के बाद जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी। कौशिक ने बताया कि नियमतः रिपोर्ट मिलने के 6 माह के अंदर विधानसभा में पेश कर सार्वजनिक किया जाना था, लेकिन सरकार ने ऐसा न करके नए जांच आयोग का गठन कर दिया जो कि अवैधानिक है।
इधर हाईकोर्ट के फैसले के बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में न्यायिक जाँच आयोग प्रतिवेदन आ गया, तो क्या वजह है कि इसे विधानसभा में पेश नहीं किया गया और सरकार ने नए बिंदु जोड़कर कमीशन का कार्यकाल आगे बढ़ा दिया. इस जाँच प्रतिवेदन में क्या आया है? ये जनता जानना चाहती है. सरकार ज़िम्मेदारियों से भाग रही है. ये सरकार जाँच प्रतिवेदन से घबराई हुई है।
इस मामले में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि.झीरम का सच सामने आना ही चाहिए, झीरम हमले में हमने अपने 32 नेताओं को खोया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि नए आयोग की जांच से भाजपा क्यों डर रही है। बीजेपी आयोग की जांच को क्यों रोकना चाहती है।भाजपा जांच रोककर किसको बचाना चाहती है? झीरम कांड जब हुआ तब राज्य में बीजेपी की हुकूमत था। यह षड्यंत्र किसके द्वारा रचा गया था ,इसे जनता के सामने भाजपा क्यों नहीं आने देना चाहती? उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेगी।
जगदलपुर के दरभा के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को एक हमला हुआ था जिसमें तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित 25 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं की हत्या की गई थी। लेकिन इस हमले को 9 साल बीतने के बार भी झीरम हत्याकांड के गुनाहगारों पर से पर्दा नहीं उठ पाया है। पहले NIA और अब भाजपा नेताओं द्वारा जांच रोकने की मांग किये जाने से यह सवाल उठ रहा है कि जांच को रोकने की कोशिश क्यों कि जा रही है।